Rashi Description
कुम्भ लग्न का जातक दार्शनिक विचारों वाला, गम्भीर प्रकृति का परन्तु लोभी किस्म का होता है। उसका हदय कोमल होता है और दूसरों पर सहज ही चतुराई से अपना काम निकाल लेने की योग्यता होती है। कुम्भ लग्न का व्यक्ति प्रायः सुन्दर होता है। उसके हॉट मोटे, गाल फूल हुए तथा कूल्हे और नितम्ब का हिस्सा कुछ भारी होता है परन्तु शनि के चतुर्थ भाव में होने पर वक्ष-प्रदेश में, फेफड़े अथवा अन्य किसी भीतरी अंग में किसी प्रकार का विकार होना संभव होता है।
ऐसे जातक को कभी-कभी अपनी बात को स्वीकार न किये जाने पर बड़ा क्रोध आता है और क्रोध में वह अपना मानसिक सन्तुलन खो देता है और चिल्लाने-चीखने लगता है परन्तु उसका क्रोध शीघ्र ही शान्त हो जाता है। ऐसे
व्यक्ति प्रायः शर्मीले स्वभाव के होते हैं तथा नये लोगों के बीच अपने को पूरे तौर पर स्पष्ट नहीं कर पाते। नये लोगों से बातचीत में वे अपनी पूरी क्षमता प्रदर्शित करने में झिझकते हैं। जातक की एक विशेषता कम आयु में ही सफलता और यश प्राप्त करना होती है।
ऐसे व्यक्ति दार्शनिक विचारों के, लेखक और ज्योतिष में रुचि रखने वाले होते हैं। कुम्भ लग्न के जातक प्राय: गलतफहमी के शिकार हो जाते हैं। परिणामस्वरुप उन्हें जीवन में कई प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है। ऐसी विषम स्थितियां भी आती हैं जब जातक को निन्दा और क्षोभ के कारण मानसिक तनाव सहना पड़ता है। ऐसे जातकों का पारिवारिक जीवन न्यूनाधिक तनावपूर्ण होता है जबकि वह स्वयं जीवनसाथी के प्रति पूरी तरह समर्पित रहते हैं।
जिस व्यक्ति के जीवनसाथी का जन्म कुम्भ लग्न में हुआ हो उसे चाहिए कि अपने सहभागी को प्रसन्न रखे अन्यथा जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता । कुम्भ लग्न के जातक को वात सम्बन्धी अथवा अन्य किसी प्रकार का
सरदर्द, पेट या कमर में दर्द, अपच, कोष्टबद्धता आदि व्याधियां होती हैं। ऐसे व्यक्ति को जीवन के उत्तरार्ध में किसी न किसी प्रकार के अपयश अथवा लाँछन का सामना करना पड़ता है।
कुम्भ लग्न की स्त्रियाँ पुत्रों की तुलना में अपने पुत्रियों से अधिक प्रेम करने वाली होती हैं। रुधिर विकार से पीड़ित रहती हैं। कुम्भ लग्न की जातिका को संगीत में विशेष रुचि होती है।
कुम्भ लग्न के जातक की व्याधि अपेक्षाकृत अधिक समय तक रहती है। अर्थात् व्याधिग्रस्त होने पर ऐसे जातक शीघ्र व्याधिमुक्त नहीं हो पाते। ऐसे जातक को रुधिर विकार से विशेष सावधान रहना चाहिये। नेत्र रोग की भी संभावना
होती है इसलिये नेत्रों के प्रति भी सतर्क रहना चाहिये।
जिस जातक का जन्म कुम्भ लग्न में होता है। उसका शरीर तथा हृदय जातक दयालु प्रकृति और परोपकार-परायण होता है। वह दूसरों की भावना, विचार और मन की बातों को जानने का सर्वदा यत्न करता है। दूसरे के दुःख को देख कर ऐसे जातक को रहा नहीं जाता है। ऐसा जातक सुख और आनन्द से जीवन व्यतीत करता है। ईश्वर, धर्म, तथा ज्ञान में ऐसे जातक को प्रवृत्ति होती है। पाप और दुराचार से ऐसा जातक दूर रहना चाहता है।
यशस्वी, धनी, मिलनसार, महान् , सुगमता पूर्वक कार्य
करने में निपुण, सर्व-जन-प्रिय, मित्रों से प्रीति रखने वाला, और सबका सम्मान करने वाला परन्तु दम्भी होता है । अत्यन्त कामी और कभी-कभी पर-स्त्री गमन का इच्छुक होता है। बड़े-बड़े लोगों से उसे मित्रता होती है। लोगों में ऐसे जातक की मान मर्यादा विशेष होती है । वाताधिक प्रकृति वाला और प्रायः उसे सिर में दर्द, पेट दर्द, अपच, कोष्ट बद्धता तथा पेटकी अन्य बीमारियां होती है। यह
जल के सेवन में उत्साह रखने वाला होता है ।
सत्याचार्य का कथन है कि कुम्भलान शुभ नहीं होता है और बहुत से विद्वानों का कथन है कि ऐसे आयु के अन्तिम भाग में किसी न किसी रूप का अपयश तथा लाञ्छना हो ही जाती है, अथवा कोई एक बड़ी हानि हो जाती है।
कन्या होने पर कुछ विशेष गुण दोषः-ऐसी जातिका अपने पुत्रों की अपेक्षा कन्याओं पर अधिक प्रेम करनेवाली होती है । आनन्दमय जीवन तथा शुभ सङ्गोत में जीवन व्यतीत करना ऐसी जातिका का स्वाभाविक गुण होता है ।
विचार की अच्छी, धार्मिका, जनों से प्रेम करनेवाली और कृतज्ञा होती है रुधिर सम्बन्धी रोगों से पीड़ित होती है।
शुक्र सबसे उत्तम फल देनेवाला होता है। और उसके बाद मङ्गल भी होता है । मंगल और शुक्र में सम्बन्ध होने से सोना में सुगन्ध होता है बुध और शनि साधारण फल देते हैं। वृ. मंगल और चं, मारक ग्रह होते हैं। वृ. स्वयं मारकेश नहीं होता। र. और बुध के पञ्चमस्थान में रहने से जातक के लिये उन्नति कारक योग होता है। यदि र. और शु. लग्न में हो, राहु दशमस्थ हो तो ऐसे स्थान में वृ. और रा. की दशा में उत्तम फल होता है। पांचवें नवांश में लान के रहने से प्राकृतिक स्वभाव का पूर्ण विकास होता है।
ऐसे जातक का रोग कुछ देर तक रहता है, अथवा आजन्म रोगी रहता ऐसे जातक को रुधिर पर पूरा ध्यान रखना उचित है। ज्योंही किसी रुधिर सम्बन्धी रोग की सम्भावना हो तुरत सावधानता पूर्वक औषधि प्रयोग करना उचित है। स्वच्छ वायु का सेवन और खुले स्थान का व्यायाम सर्वदा उपयोगी होता है। मानसिक व्यथा से सर्वदा बचना उत्तम है। भोजन सादा, सुथरा, रूधिर को स्वच्छ रखनेवाला होना चाहिये । आँखों पर पूरा ध्यान होना चाहिये । कारण, ऐसे जातक को नेत्र रोग बहुधा हुआ करते हैं ।
ये लोग किसी कार्य को कैसे करें, ऐसा जानना चाहते हैं | मानिए डिस्कवरी चैनल देखने वाले, वैज्ञानिक विचार, जानवरों के बारे में भी जानकारी में रूचि होती है | पिता का व्यापार किसी दुर्लभ वास्तु का या, ऐसा होता हैं जो अधिक लोग नहीं करते | भाई-बहनों से वार्तालाप में बहुत उग्र स्वभाव के होते हैं, वे या तो बहुत दूर रहते हैं या बहुत अधिक लगाव से | उनको सदैव लगता हैं की उनका लालन पोषण अच्छे से नहीं हुआ, घर से मज़बूत होते हैं |
इनके बच्चे कलाकार, चतुर, अच्छे सवार, सीए, अकाउंट में या एनीमेशन अथवा ट्रांसलेटर क्षेत्र में होते हैं | रोग एवं शत्रु बनते बिगड़ते रहते हैं, कभी धन होता है तो कभी नहीं होता है | ये अपने जीवन साथी से अपने अहम् की तृप्ति करते हैं, वे कोई समझौता करते हैं | राजनीतिज्ञ पतिपत्नी, वो लोगों को दिखाना चाहते हैं, ये मेरा जीवन साथी है, ये मेरी सैलरी है, ये मेरी उपलब्धि है | शादी के बाद, प्रायः आजीविका/व्यवसाय में तरक्की करते हैं, जीवनसाथी का सहयोग मिलता है, परिवार के धन के प्रति बहुत सावधान होते हैं |
ससुराल पक्ष से बहुत बुद्धि से व्यवहार करते हैं | वे बहुत धार्मिक नहीं होते हैं, उनको रीति रिवाज़ के लिए कारण को जानने के बाद ही उनका अनुसरण करना चाहते हैं | वे अंतर्मन से किसी अन्य की सफलता से बहुत इर्षा रखते हैं, वे ऐसा दिखाते न हों, परन्तु उनको किसी की सफलता देखकर लगता है, की वे उस स्थान पर क्यों नहीं हैं | मीडिया, विज्ञापन क्षेत्र में हो सकते हैं, उनकी समाज में अधिक अच्छी स्तिथि नहीं होती, जबकि वे देखने में अच्छे स्वभाव के लगते हैं | वे दिखाते हैं, की उनको अहंकार नहीं है परन्तु गुप्त रूप से वे अहंकारी होते हैं |
वे प्रायः, बहुत वशिष्ठ ज्ञान या कला वाले लोगों से जुड़ते हैं, यदि वे एक बड़ाई से मित्रता रखते हैं, तो वो बड़ाई भी बहुत विशिष्ट कार्यदक्षता वाला होगा | प्रायः वे कर्ज करके धन या सुविधा बनाते हैं, उनके पास लम्बे लम्बे कर्ज हो सकते हैं | वे प्रायः ज्यादा दूर यात्रा नहीं करते, शनि उनको घर और उसके पास के क्षेत्र से जोड़े रखते हैं | वे कार्य से आने के बाद घर पर ही सोना पसंद करते हैं, अर्थात सुबह गए और शाम को लौट आये | जबकि वे कम दूरी की यात्रा अक्सर करते हैं |