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उत्तराफाल्गुनी-नक्षत्र
सिंहराशि के सिंह-पूंछ पर स्थित दो तारे बीटा सिंहव93 सिंह उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र बनाते हैं। ये तारे पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के उदय होने के बाद उदय होते हैं। अंत उत्तराफाल्गुनी कहे गये। इस नक्षत्र का मुख्य तारा बीटा सिंह की पूँछ पर स्थित है। इसलिए इसका अरबी नाम अल्-धनब अल-असद (सिंह की पूँछ) रखा गया। फाल्गुनी नक्षत्र को ऋग्वेद में अर्जुनी कहा गया है, जिसका अर्थ है श्वेत। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के देवता - अर्यमा अर्यमा अर्थात् श्रेष्ठ चलने वाला। यह एक पितर हैं और पितरों में सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं।
तारों की संख्या 2 तारे का वैज्ञानिक नाम बीटा सिंह व 93 सिंह अयनांश 146°40' से 160°00' तक राशि : सिंह/कन्या सूर्य का वास 13 सितम्बर से 27 सितम्बर तक (लगभग)
पाकड़ को संस्कृत में प्लक्ष (नीचे जाने वाला), पर्कटी (सम्पर्क वाली), पर्कटरी, जटी, हिन्दी में पाकड़, पिलखन व वैज्ञानिक भाषा में फाइकस विरेन्स कहते हैं। यह लगभग सदा हरा-भरा रहने वाला वृक्ष है, जो जाड़े के अन्त में थोड़े समय के लिए पतझड़ में रहता है। इसका छत्र काफी फैला हुआ और घना होता है, इसकी शाखाएँ जमीन के समानान्तर काफी नीचे तक आ जाती हैं, जिससे घनी, शीतल छाया का आनन्द बहुत करीब से मिलता है।
पौराणिक मान्यता के सात या नौ द्वीपों में एक द्वीप का नाम प्लक्ष द्वीप है, जिस पर पाकड़ का वृक्ष है। विष्णुपराण के अनुसार यहाँ सदैव त्रेता युग बना रहता है, निवासियों की आयु अधिक (5000 वर्ष) होती है और ये सूर्य की उपासना करते हैं। विष्णु यहाँ सोम-रूप में रहते हैं। मत्स्यपुराण के अनुसार इसे वन-वृक्षों का अधिपति बनाया गया था। गौरूपी पृथ्वी को दुहने के समय यह वृक्षों के लिए बछड़ा बना था।