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अनुराधा-नक्षत्र
अनुराधा अर्थात् समृद्धिदायक, शुभ। वृश्चिक मण्डल के 'मुख' पर लगभग एक सीध में स्थित चार तारों बीटा, डेल्टा, पाई और रो वृश्चिक से अनुराधा नक्षत्र बना है। ये चारों तारे लगभग एक सीधी रेखा में हैं तथा भारतीय ज्योतिषियों ने इसमें चावल के चार ग्रास (निवाला या कौर) की कल्पना की है। इन नक्षत्र का डेल्टा वृश्चिक तारा 2.5 कांतिमान का है और सम्भवतः इस नक्षत्र का योगतारा है। इस नक्षत्र का बीटा वृश्चिक तारा वास्तव में चार जुड़वा तारों की योजना है।
तारे की संख्या तारे का वैज्ञानिक नाम वृश्चिक मण्डल के बीटा, डेल्टा, पाई व रो तारे अयनांश 213920' से 226°40' तक राशि : वृश्चिक सूर्य का वास 19 नवम्बर से 3 दिसम्बर तक (लगभग)
इस वृक्ष को संस्कृत में बकुल (भेष बदलनेवाला), केसर (जल गिराने वाला अर्थात् वायु में आर्द्रता प्रदान करने वाला), अंग्रेजी में बुलेटवुड तथा हिन्दी में मौलश्री (जड़ दृढ़ करने वाला या वेणी की शोभा) कहते हैं। वैज्ञानिक भाषा में यह मिमुसाप्स इलिन्जी नाम से जाना जाता है। यह भारत के दक्षिणी प्रायद्वीप तथा अंडमान निकोबार द्वीप समूह में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला तथा उत्तर भारत के बागों में शोभा व छाया के लिए लगाया जाने वाला सदाबहार वृक्ष है। आर्द्र क्षेत्रों में इसके वृक्ष बहुत बड़े आकार के हो जाते हैं
संस्कृत कवियों ने इस वृक्ष को शृंगारी व दोहद वृक्ष के रूप में चित्रित किया है। यह घर के पास लगाने योग्य मांगलिक वृक्ष है। पूजा में जहाँ अन्य फूल बासी होने पर नहीं चढ़ाये जाते, किन्तु इसका पुष्प बासी होने पर भी चढ़ाया जाता है।