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शतभिषा नक्षत्र
शतभिषा अर्थात् सौ वैद्य। इस नक्षत्र को शतभिग या शतभिषक् नाम से भी जाना जाता है। कुम्भ राशि तारामण्डल में कुम्भ-मुख पर स्थित लेम्बडा-कुम्भ तारा शतभिषा नक्षत्र है। पहले यह एक तारे का नक्षत्र माना जाता था, किन्तु बाद में 'सौ वैद्यों' के नाम पर 100 तारों की कल्पना कर ली गयी और इसके आसपास के सैकड़ों तारों को इसमें शामिल कर लिया गया। लेम्बडा कुम्भ लाल रंग का तारा है तथा ठीक कान्तिवृत्त (Ecliptic) पर स्थित है।
तारों की संख्या तारे का वैज्ञानिक नाम लैम्डा मण्डल का कुम्भ तारा अयनांश 306°40' से 320°00' तक राशि कुम्भ सूर्य का वास 19 फरवरी से 4 मार्च तक (लगभग)
कदम्ब शब्द का अर्थ है – विरह-वेदना का नाश करने वाला। इसे संस्कृत में नीप (जल, आर्द्र क्षेत्र का नेतृत्व करने वाला), प्रियक, हलिप्रिय (बलराम का प्रिय) नाम से जाने वाले इस वृक्ष को वैज्ञानिक भाषा में एन्थोसिफेलस चाइनेन्सिस कहते हैं।
इसके पुष्प शिवजी को चढ़ाये जाते हैं। कदम्ब को भगवान् कृष्ण के साथ जोड़ा जाता है। इस वृक्ष को बलराम का प्रिय कहा गया है। संस्कृत-साहित्य में यह शृंगारी वृक्ष के रूप में बहुधा वर्णित हुआ है। एम. एस. रनधावा (1952) ने ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर सिद्ध किया है कि प्राचीन काल में मथुरा में कदम्ब बहुतायत से प्राकृतिक रूप में पाया जाता था, किन्तु क्षेत्र की क्रमशः समाप्त हो रही नमी के कारण यह मथुरा से लगभग लुप्त हो गया।