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चित्रा-नक्षत्र
चैत्र माह का नाम इसी नक्षत्र के नाम पर पड़ा। इस नक्षत्र में केवल एक तारा है, जो शुद्ध श्वेत रंग का और चमकीला है। अत्यधिक आकर्षक और चमकीला होने से इस नक्षत्र का नाम चित्रा पड़ा। इसका पाश्चात्य नाम स्पाइका है, जिसका अर्थ है गेहूँ की बाली। कन्या राशि तारामण्डल के पाश्चात्य काल्पनिक चित्र में 'कन्या' के बाएँ हाथ में गेहूँ की बाली दिखायी गयी है। इस गेहूँ की बाली के स्थान पर यह चित्रा नक्षत्र स्थित है। यह तारा हमसे 160 प्रकाश-वर्ष दूर है। चित्रा तारा छह सौ सूर्यो के बराबर विकिरण उत्सर्जित करता है। इस नक्षत्र के माह चैत्र में गेहूँ की फसल पककर काटे जाने के कारण इसे चीन, मिस्र, फारस व यूरोप में गेहूँ की बाली के प्रतीक से जोड़ा गया।
तारों की संख्या :5 तारे का वैज्ञानिक नाम :कन्या-मण्डल का अल्फा तारा अयनांश 173°20' से 186°40' तक राशि : कन्या/तुला सूर्य का वास 10 अक्तूबर से 24 अक्तूबर तक (लगभग)
बिल्व अर्थात् भेदन करना, तोड़ना। आँव व पेचिश में पेट की श्लेष्मा (Mucus) को तोड़कर बाहर निकालने का गुण होने से इसे बिल्व कहा गया। इसकी दूसरी अन्य संस्कृत उपमाएँ हैं - शांडिल्य, मालूर, श्रीवृक्ष आदि। यह काँटों-युक्त शाखाओं वाला छोटी ऊँचाई का पतझड़ी वृक्ष है,
यह वृक्ष शिवजी को प्रिय कहा गया है। शिवजी की पूजा में इसकी पत्तियाँ चढ़ायी जाती हैं। श्री (धन) प्राप्ति हेतु आयोजित यज्ञ में बेल की समिधा प्रयुक्त होती है। इसके फल को लक्ष्मी-रूप कहा गया है।