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उत्तरभाद्रपद-नक्षत्र
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के परिचय में स्पष्ट किया जा चुका है कि भाद्रपद तारामण्डल की चतुर्भुज आकृति में बाद में उगने वाले दो तारों को उत्तरभाद्रपद नक्षत्र कहते हैं। भाद्रपद तारामण्डल, जिसे हम चतुर्भुज-आकृति के रूप में देखते हैं, में पाश्चात्य लोगों ने पंख लगे घोड़े के सिर (पेगासस) की कल्पना उत्तरभाद्रपद के दोनों तारों के वैज्ञानिक नाम गामा व डेल्टा पेगासी हैं। दक्षिण स्थित गामा पेगासी तारे का पाश्चात्य नाम अलजेनिब है। उत्तर स्थित डेल्टा पेगासी को अल्फा एंडोमेडा या अलफेराट्ज भी कहते हैं। यह जुड़वा तारा है और हमसे करीब 116 प्रकाश-वर्ष दूर है।
तारों की संख्या 2 तारे का वैज्ञानिक नाम गामा व डेल्टा पेगासी अयनांश 333°20' से 346°40' तक राशि मीन सूर्य का वास 18 मार्च से 31 मार्च तक (लगभग)
निम्ब का अर्थ है सिंचन करने वाला (स्वास्थ्य का)। इसके अन्य संस्कृत नाम रविप्रिय, पिचुमर्द (कोढ़ नष्ट करने वाला), सर्वतोभद्र (हर प्रकार से कल्याणकारी), अरिष्ट (हानिरहित) है। इसे पाश्चात्य में मार्गोसा (कड़वा), पश्चिम एशिया में आजाद दरख्ते हिन्द (हिन्दुस्तान का आजाद वृक्ष), तंजानिया में मारोबैनी (चालीस इलाज) तथा घाना में गू-गे (राजा) कहते हैं।
पौणिक मान्यता में नीम सूर्य का प्रिय वृक्ष है। इसके रोपण, सेवा व सेवन से सूर्य भगवान् प्रसन्न होकर जीव को रोगों व दुर्भाग्य से मुक्त करते हैं। चेचक की देवी शीतला माता हाथ में नीम की मंजरी धारण करती हैं। इसी कारण से नीम वृक्ष में देवी का निवास माना जाता है। इसे मांगलिक वृक्ष कहा गया है तथा ऋषियों ने इसे घर के आसपास रोपित करने की संस्तुति की है। नीम के अनेक औषधीय गुणों के कारण इसे गाँव का वैद्य या गाँव का दवाखाना कहा जाता है।