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विशाखा-नक्षत्र
तुला राशि के दो तारों अल्फा और बीटा तुला से विशाखा नक्षत्र बनता है। विशाखा का एक अर्थ है दो शाख वाली। भारतीय ज्योतिषी इन दो तारों के साथ स्थित अन्य दो तारों से बनी चौकोर आकृति में तोरण की आकृति की कल्पना करते हैं। वैशाख मास का नामकरण इसी नक्षत्र के आधार पर हुआ। इस नक्षत्र का पहला तारा अल्फा-तुला तराजू (तुला) के पश्चिमी पलड़े में लगभग क्रान्तिवृत्त पर स्थित है तथा वस्तुतः यह एक जुड़वाँ तारा है, जिसमें प्रमुख नीला तारा हमसे करीब 72 प्रकाशवर्ष दूर है तथा दूसरा कम कांतिमान पीले रंग का है। इस नक्षत्र का दूसरा तारा बीटा तुला, तुला मण्डल का सबसे चमकीला तारा है तथा तुलादण्ड के मध्य में स्थित है।
तारे की संख्या :2 तारे का वैज्ञानिक नाम अल्फा व बीटा तुला अयनांश 200°00' से 213°20' तक राशि : तुला/वृश्चिक सूर्य का वास 7 नवम्बर से 19 नवम्बर तक (लगभग)
विशेष प्रकार के काँटे से युक्त होने के कारण इसे विकंकत कहा गया। इस वृक्ष के तने व पुरानी शाखाओं पर अधिक संख्या में लम्बे काँटे होते हैं, जो मुख्य तने पर बहुशाखित होकर काँटों का खतरनाक गुच्छा बना देते हैं। वैज्ञानिक इसे फ्लेकोर्शिया इन्डिका तथा अंग्रेजी में गवर्नर्स प्लम कहते हैं।
यज्ञ-कार्यों हेतु इसकी लकड़ी से यज्ञ की सुवा (कलछी) निर्मित होती है। विशाखा नक्षत्र व विकंकत वृक्ष की जोड़ी विचारणीय है, विशाखा नक्षत्र के देवता इन्द्राग्नि शत्रुओं को दूर भगाकर व्यक्ति की शत्रुओं से रक्षा करते हैं, तो यह वृक्ष भी अधिकाधिक काँटों से अपनी व रोपित्र क्षेत्र की रक्षा करता है। यज्ञ की अग्नि में इन्द्र को आहुति देने के लिए सुवा के निर्माण कक्ष हेतु इस वृक्ष के काष्ठ प्रयोग का निर्धारण विचार-योग्य है।