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पुनर्वसु-नक्षत्र
पुनर्वसु अर्थात् पुनः सम्पत्ति देने वाले दो (तारे)। वर्षा-ऋतु में सूर्य जब दो तारों के इस नक्षत्र में पहुँचता है, तब तक धन-धान्य देने वाली फसलें अंकुरित होकर लहलहा रही होती हैं। सम्भवतः इसीलिए इसे पुनर्वसु नक्षत्र कहा गया। पुनर्वसु नक्षत्र मिथुन राशि के दो तारों से बना है, जिनके वैज्ञानिक नाम अल्फा व बीटा मिथुन तथा यूनानी नाम क्रमशः कैस्टर व पोलक्स हैं। यूनानी मान्यता में ये दोनों जुड़वा भाई हैं। इसमें पोलक्स तारा नारंगी रंग का साधारण तारा है और हमसे 45 प्रकाशवर्ष दूर है, किन्तु कैस्टर नीले रंग का अतितप्त तारा है तथा एक दिखने वाला यह तारा वस्तुतः छः तारों का एक साथ स्थित समूह है। कैस्टर या पोलक्स नामक उपरोक्त दोनों जुड़वाँ भाइयों को यूनान में डायस्कोरी कहते हैं और इनका चरित्र भारतीय देवता अश्विनी कुमार के वैद्यक स्वभाव से मेल खाता है।
तारों की संख्या 2 तारे का वैज्ञानिक नाम मिथुन मंडल के अल्फा व बीटा तारे अयनांश 80°00' से 93°20' तक राशि : मिथुन/कर्क सूर्य का वास 6 जुलाई से 20 जुलाई तक (लगभग)
बाँस को संस्कृत में वंश, त्वक्सार, तृणध्वज, वेणु व शतपर्व आदि नामों से जानते हैं। वंश शब्द संस्कृत के वम् से बना है, जिसका अर्थ है उगलना। चूंकि बाँस का पूरा वृक्ष कुछ ही दिन में अपने मातृ वृक्ष से उगले जाने की तरह निकलकर बाहर आ जाता है, अतः इसे वंश कहा गया, जो बिगड़कर हिन्दी में बाँस हो गया।
मांगलिक कार्यों, विशेषकर वैवाहिक कार्यों में बाँस व इसकी पत्तियाँ प्रयोग की जाती हैं। बाँस को जलाना धार्मिक दृष्टि से वंशनाशक माना जाता है,