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पूर्वाभाद्रपद-नक्षत्र
भाद्रपदा अर्थात् शुभ या सुन्दर पैरों वाली। भाद्रपदा का एक अन्य नाम है प्रोष्ठपदा, जिसका अर्थ है चौकी या स्टूल (मजबूत पैर वाली) वास्तव में भाद्रपदा चार प्रखर तारों वाला चतुर्भुज तारामंडल है, जो आसानी से पहचान में आ जाता है। इसमें पहले उगने वाले दो तारों को पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र तथा बाद में उगने वाले दो तारों को उत्तर भाद्रपद नक्षत्र कहते हैं। भाद्रपद मास इन्हीं नक्षत्रों से बनता है। पूर्वा भाद्रपदा के दो तारों का पाश्चात्य नाम अल्फा पेगासी व बीटा पेगासी है। अल्फा पेगासी पूर्वा भाद्रपदा नक्षत्र का प्रमुख तारा माना जाता है। बीटा बेगासी एक विशाल तारा है, जिसका व्यास सूर्य से 87 गुना अधिक है। यह तारा हमसे 325 प्रकाश-वर्ष दूर है।
तारों की संख्या तारे का वैज्ञानिक नाम अल्फा व बीटा पेगासी अयनांश 320°00' से 333°20' तक राशि सूर्य का वास 4 मार्च से 18 मार्च तक (लगभग)
आम अधिक शुष्क व अधिक पाला वाले क्षेत्रों को छोड़कर पूरे भारतवर्ष में पाया जाता है। इसके पके फलों को चूसकर खाये जाने के कारण ही द्रविणमूल भाषा में इसे 'अंब' (माँ) नाम दिया गया, जो सम्भवतः संस्कृत में आम्र बन गया। आम भारत का सर्वाधिक लोकप्रिय फल है। भारत में लगभग 8.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में आम की खेती की जाती है, जो देश के सम्पूर्ण फलों से घिरे क्षेत्र की दो-तिहाई है। (भारत की सम्पदा- 1981) दक्षिण भारत में आम उत्तर भारत की तुलना में एक माह पूर्व फूलता, फलता व पकता है। इसे वैज्ञानिक भाषा में मैन्जीफेरो इन्डिका कहते हैं। के प्रारम्भ में पुष्पित होने से संस्कृति कवियों ने इसे रसाल, वसन्तदूत, कामवल्लभ, मन्मथालय आदि नाम देकर कामदेव से जोड़ा है।
पंच पल्लवों में आम की गणना होती है। मांगलिक कार्यों में इसकी पत्ती वन्दनवार व पल्लव के रूप में प्रयुक्त होती है। तुलसीदास ने रामायण में कहा है कि काकभुसुण्डि जी आम की छाँव में मानस-पूजा करते थे। यह वृक्ष प्रजा के निर्माणकर्ता प्रजापति का रूप कहा जाता है। इसका फूल कामदेव के पाँच बाणों में से एक कहा गया है। शिवरात्रि को शिवजी को इसका फूल चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि शिवरात्रि को शिव-पार्वती का विवाह इसी वृक्ष के नीचे हुआ था, इसके लिए यह वृक्ष स्वर्ग की वाटिका अमरावती से पृथ्वी पर नारद द्वारा लाया गया था। इसीलिए विवाह में इसके पत्तों की वन्दनवार बनायी जाती है।